दीवारों से मैं चीखके, आये दिन हूँ ये पूंछता,
मेरे खुदा दे बता, आखिर मेरा क्या कुसूर था.
जब मौत की तलाश थी, ज़िन्दगी का साथ था,
जब ज़िन्दगी ने मांग की, आपने दिया वास्ता.
नज्मों की तरह नाजों से हर लव्ज़ मैंने पिरोया,
याद है हर बात मुझको, याद है हर एक वाकया.
मेरी मजबूरी है ऐसी कर नहीं सकता बयान,
हँस के रोता हूँ मैं कैसे, बस खुदा ही ये जानता.
मैं आँखों में भी तेरी पुकार ले कर ही सोता,
जाने तू मिले किस सहर में, कौन सा वो रास्ता.
ऐसा नहीं के तुझसे रूठने की मैंने कोशिश न की,
हर बार खुदसे ही मैंने पाया खुद ही को खफा.
जाने किस हंसी ख्वाब में थमा तुने मेरा हाथ था,
तेरा भी खुदा होंगा कोई, है कसम तुझको न जगा.
पढने का बहुत बहुत शुक्रिया,
'अतुल'
मेरे खुदा दे बता, आखिर मेरा क्या कुसूर था.
जब मौत की तलाश थी, ज़िन्दगी का साथ था,
जब ज़िन्दगी ने मांग की, आपने दिया वास्ता.
नज्मों की तरह नाजों से हर लव्ज़ मैंने पिरोया,
याद है हर बात मुझको, याद है हर एक वाकया.
मेरी मजबूरी है ऐसी कर नहीं सकता बयान,
हँस के रोता हूँ मैं कैसे, बस खुदा ही ये जानता.
मैं आँखों में भी तेरी पुकार ले कर ही सोता,
जाने तू मिले किस सहर में, कौन सा वो रास्ता.
ऐसा नहीं के तुझसे रूठने की मैंने कोशिश न की,
हर बार खुदसे ही मैंने पाया खुद ही को खफा.
जाने किस हंसी ख्वाब में थमा तुने मेरा हाथ था,
तेरा भी खुदा होंगा कोई, है कसम तुझको न जगा.
पढने का बहुत बहुत शुक्रिया,
'अतुल'