ग़ज़ल : चश्मदीद है आसमान

आज एक सच्ची  मुहब्बत का अफसाना बयान कर रहा हूँ . सुनिए .. लिखता हूँ,

मैं तो हूँ तेरी दुनिया, तू ही है मेरा जहाँ,
रास्ते हैं सारे गवाह, चश्मदीद है आसमान.

*                           *                               *

मैं जो पुकारूं तुझको, और बड़े हों फासले,
आँख भरके याद करना, सज उठेंगे काफिले.

इंतज़ार के दिए जब हवाओं में डगमगायेंगे,
हम आंसुओं से रात भर नैनों के दीप जलायेंगे.

रो रो थकेगा सावन, भादो होगा परेशान,
हर हाल में जारी रहेगा मुहब्बत का कारवां.

*                             *                              *

होगा एक दिन यूँ, तुम हमें भूल जाओगे,
रास्ते होंगे हज़ारों,  दूर कहीं निकल जाओगे.

तनहाइयों में तुम, अंधेरों में मचल जाओगे,
दिल कहेगा लौट जाओ, पर लौट न पाओगे.

याद करना उस पल, हम पहुँच जायेंगे वहाँ,
खून से सींचेंगे फूल, तेरे आंसू गिरेंगे जहाँ.

*                             *                               *

गर उसी राह पर कोई और दूजा मिल जाए,
हम नज़रों से हों दूर और वफ़ा हिल जाए.

लगे महफ़िल कहीं और टकराएं शीशे जाम के,
साथ न हों मेरा तो चलना किसीका हाथ थाम के.

गैरों से न दर्द लेना, भूल जाना हम मिले कहाँ,
भूल जाना सर्द मौसम और अपनी दास्तान.

*                                *                             *

हम तो चलेंगे अकेले, आँखों में ले तेरा जहाँ,
तू बेशक भुलादे, हम रखेंगे पाक मुहब्बत जवाँ.
रास्ते रहेंगे गवाह, चश्मदीद रहेगा आसमान.
चश्मदीद रहेगा ये आसमान.


पढने का तहे दिल से शुक्रिया.
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