ग़ज़ल : खुद के बारे में

 खुद के बारे में लिखना कभी आसान नहीं होता. पर कभी कभार लिखना ज़रूरी होता है. ये सोचने का मौका मिलता है कि हम कैसे हैं. ये विश्लेषण ज़रूरी है. कुछ अपने बारे में लिख रहा हूँ.----


अफसाना बयाँ करते हैं तो कभी रात नहीं होती,
महफ़िल में मिलते हैं सबसे पर मुलाक़ात नहीं होती.

मेरी शक्सियत है ऐसी ही बुरा न मानें, गलती होगी,
यारों से भी मेरी आज कल खुलके बात नहीं होती.

मुझे जानना है मुसीबत, नसीहत लें तो बचियेगा,
मेरी दास्तान है दिलचस्प पर जलसे में आवाज़ नहीं होती.

हम वो हैं जिसकी मौत ही बेवफा निकली हमेशा ही,
हमसे तो अब ज़िन्दगी भी कभी नाराज़ नहीं होती.

फ़िदा होना वो खूबी है जो अरसे से हमको सिखाई गई,
आदत है बुरी, पर खता करने से फितरत बाज़ नहीं होती.

'अतुल' 
1 Response
  1. हम वो हैं जिसकी मौत ही बेवफा निकली हमेशा ही,
    हमसे तो अब ज़िन्दगी भी कभी नाराज़ नहीं होती.

    Behtareen...subhanallaha


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