मैं अंधेरों से लड़ता हूँ कोई मुझे मशाल देदो,
पूंछता हूँ मैं बेजुबान की तरह, एक सवाल देदो.
हकीकत गिरवी रक्खी मैंने मुहब्बत की सेज पर,
तमाशा हूँ बना मैं हर ओहदे वाले की मेज़ पर.
आवारगी और आशिकी की हद किसने पहचानी है,
कब्र से कब्र है जिस तरह, इंसानियत अनजानी है.
सहारा बनकर ज़िन्दगी देना उनकी हमदर्दी थी,
ये मानना मेरी सज़ा, न मानना मेरी खुदगर्जी थी.
मेरी हालत पे रहम हो तो होश थोडा उधार देदे,
मेरी बीमार हसरत को थोड़ी दवा इक बार देदे.
एक आंसू तो बहालूँ, मुझे अपना रुमाल देदो,
उसके बाद हर मौसम भले, मुझे बदहाल देदो.
आपकी शाबाशी के कायल हैं हम, आपसे गुजारिश है कि अपने ख्यालों से मुझे अवगत कराएँ. पढने का बहुत बहुत शुक्रिया. धन्यवाद्.
'अतुल'
पूंछता हूँ मैं बेजुबान की तरह, एक सवाल देदो.
हकीकत गिरवी रक्खी मैंने मुहब्बत की सेज पर,
तमाशा हूँ बना मैं हर ओहदे वाले की मेज़ पर.
आवारगी और आशिकी की हद किसने पहचानी है,
कब्र से कब्र है जिस तरह, इंसानियत अनजानी है.
सहारा बनकर ज़िन्दगी देना उनकी हमदर्दी थी,
ये मानना मेरी सज़ा, न मानना मेरी खुदगर्जी थी.
मेरी हालत पे रहम हो तो होश थोडा उधार देदे,
मेरी बीमार हसरत को थोड़ी दवा इक बार देदे.
एक आंसू तो बहालूँ, मुझे अपना रुमाल देदो,
उसके बाद हर मौसम भले, मुझे बदहाल देदो.
आपकी शाबाशी के कायल हैं हम, आपसे गुजारिश है कि अपने ख्यालों से मुझे अवगत कराएँ. पढने का बहुत बहुत शुक्रिया. धन्यवाद्.
'अतुल'
sudar
BHUT ACHA HAI JEE