इंसानों की भीड़ में
इंसानों की भीड़ में मुझे न कहीं इंसान दिखे.
मुझे मंदिर दिखे, मस्जिद दिखे, हिन्दू दिखे, मुसलमान दिखे,
पर मस्जिद में अल्लाह न दिखे, मंदिर में न भगवान दिखे.
बिकते हुए सपने दिखे, बिकते हुए अरमान दिखे,
दुनिया के इस बाज़ार में लेकिन, फौलाद के न इमान दिखे.
टी वी दिखी, विडियो गेम्स दिखे, फिल्में दिखीं, शाहरुख़ खान दिखे,
चार साल के बच्चे भी अब मुझे न मासूम दिखे, न नादान दिखे.
परमाणु दिखे, नागासाकी दिखे, इराक और अफगानिस्तान दिखे,
मुझे सपने में दुनिया के नक्शे पर, न पाकिस्तान दिखे, न हिंदुस्तान दिखे.
--' अतुल '
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