शायद तेरी बेवफाई का हमें इतना गम न होता,
अगर दिल में सैलाब मुहब्बत से कम न होता |
बहुत सी करवटें तेरे बिस्तर में अरमान लेते मेरे,
तेरी चादर से बड़ा अगर दिल का वहम न होता |
कुछ दिख जाती दरारें भी रिश्तों की दीवारों में,
अगर इस बारिश को दीवारों पे रहम न होता |
न किस्सा सुनाना किसीको, हसेंगे तुमपे मेरी जां,
ये किस्सा नहीं ये हादसा है जो ख़तम न होता |
चले जाओ भले रुकने से अब क्या फ़ायदा होगा,
हर घाव भरने के लिए वक़्त का मरहम न होता |
'अतुल'
वाह... शानदार ! बहुत खूबसूरत रचना !
shukriya