दस्तक है, कोई आने को है.
वो शहर यहाँ उजड़ा था कभी,
वहीं कोई बस्ती बसाने को है.
मैं ही था राह में ताकता ही रहा,
राह वहीँ से मुड जाने को है.
तोड़ हर कसम, आज उनके पास,
कोई वायदा निभाने को है.
हद से जियादा मांग लिया आपने,
मेरा सब्र शायद टूट जाने को है.
' अतुल '
वो शहर यहाँ उजड़ा था कभी,
वहीं कोई बस्ती बसाने को है.
मैं ही था राह में ताकता ही रहा,
राह वहीँ से मुड जाने को है.
तोड़ हर कसम, आज उनके पास,
कोई वायदा निभाने को है.
हद से जियादा मांग लिया आपने,
मेरा सब्र शायद टूट जाने को है.
' अतुल '
saadgi.. sundar
badal thode hi the aankhon mein mere
mausam rahte wahi baras jaane ko hai.
bilkul nishaane par..