अब तो हवाओं में भी इज़हार है ,
क्यूँ हमें जाने का इंतज़ार है ।
जिस वक़्त को दिल तकता था,
दिल उसी वक़्त का पहरेदार है ।
टूटी सुलगी रातें बड़ी लम्बी थी,
बड़ा छोटा सा ये इकरार है ।
हर ज़ख्म ने नफरत न की तुमसे,
ज़ख्मों को मरहम पे एतबार है ।
छोड़ कर अनकही सुन ले अनसुनी,
चाहना आसान है कहना दुश्वार है ।
बहुत छोटी है साँसों की ये लड़ी ,
जीने दे ये ज़िन्दगी बस एक बार है ।
'अतुल'