तेरी बेवफाई के बदले क्यूँ न बेखुदी मांग लें,
ज़िन्दगी मुबारक तुझे, हम ख़ुदकुशी मांग लें |
तोड़ दे तू दिल हजारों, गुल बिखरादे तू कई,
चल के उनपे कांटो से ही, हम हर ख़ुशी मांग लें |
तेरी महफ़िल न मिली तो सावन भी आया नहीं,
सोचता हूँ थोड़ी मुहब्बत, पतझड़ से ही मांग लें |
तेरा सर था मेरे कंधे, दिल किसी की बांह में,
ख्याल आया फिर, क्यूँ न तेरी दोस्ती मांग लें |
मेरी मय्यत पे तशरीफ़ जो लाये तो सोचा,
खुदा से हम काफिर क्यूँ न, ज़िन्दगी मांग लें |
- 'अतुल'
तेरा सर था मेरे कंधे, दिल किसी की बांह में,
ख्याल आया फिर, क्यूँ न तेरी दोस्ती मांग लें |
Ultimate writing...
Great Poetry !
सोचता हूँ थोड़ी मुहब्बत, पतझड़ से ही मांग लें |
waah kya baat hai..
ek ek sher me dam hai...
khoob !
thanks, just a small effort