नज़्म : नहीं आता

मजबूर हूँ मैं कितना, कहना नहीं आता |
तेरी ही तरह मैं भी हूँ, रहना नहीं आता |

मैं बंदिशों से लड़ रहा हूँ, तूने जंजीरें तोड़ दीं |
मुहब्बत के पंछी को अकेले, उड़ना नहीं आता |

तू छोड़ चला मुझको, सूरज सा बढ़ गया |
मैं तालाब का पानी हूँ, बढ़ना नहीं आता |

ज़माने से भी लड़ गया जो मेरे आगे अड़ा |
अब तू लड़ा है, तुझसे लड़ना नहीं आता |

नासूर हूँ दिल का, मारोगे तो जी जाऊंगा |
कर मुहब्बत से क़त्ल मुझे, मरना नहीं आता |

ले चल मुझे तू जहाँ जाने से सुकून मिले |
कास के पकड़ना मुझे मुड़ना नहीं आता |

'अतुल'




  
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