नज़्म

बहुत दर्द है दिल में आज साज़ नहीं, 
ये मेरी आह है दिल की, आवाज़  नहीं|

छोटी सी थी कहानी जो सुना न सके,
कभी खबर न थी तुझे कभी हालात नहीं|

क्या कहूं मैं ये कहना है बड़ा मुश्किल,
तू जो पूछे तो बस कहूं कि कोई बात नहीं|

तू जानता है सब पर खामोश क्यूँ है,
मेरी जान जा रही है, तुझे एहसास नहीं|

ठोकर मिले ज़माने से तो क्या मुझको,
मैं हूँ तेरा, इस में कोई भी राज़ नहीं| 

इतना बड़ा दिल है तेरा, फिर ज्यादती क्यूँ,
जीने को पल दिए पर मिलने को मुलाक़ात नहीं|

है क्या डर तुझे, ये कह दे तू मुझसे,
सूरज दिए को, इश्क़ इकरार को मोहताज नहीं|

ये ग़ज़ल है तेरी बस लिखता हूँ मैं,
मेरे लब हैं पर इनमे मेरे अलफ़ाज़  नहीं|

'अतुल'  
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