बहुत दर्द है दिल में आज साज़ नहीं,
ये मेरी आह है दिल की, आवाज़ नहीं|
छोटी सी थी कहानी जो सुना न सके,
कभी खबर न थी तुझे कभी हालात नहीं|
क्या कहूं मैं ये कहना है बड़ा मुश्किल,
तू जो पूछे तो बस कहूं कि कोई बात नहीं|
तू जानता है सब पर खामोश क्यूँ है,
मेरी जान जा रही है, तुझे एहसास नहीं|
ठोकर मिले ज़माने से तो क्या मुझको,
मैं हूँ तेरा, इस में कोई भी राज़ नहीं|
इतना बड़ा दिल है तेरा, फिर ज्यादती क्यूँ,
जीने को पल दिए पर मिलने को मुलाक़ात नहीं|
है क्या डर तुझे, ये कह दे तू मुझसे,
सूरज दिए को, इश्क़ इकरार को मोहताज नहीं|
ये ग़ज़ल है तेरी बस लिखता हूँ मैं,
मेरे लब हैं पर इनमे मेरे अलफ़ाज़ नहीं|
'अतुल'