मेरा हर सफ़र है शुरू वहीँ से,
मैं जहाँ से जब कभी चल रहा हूँ |
बड़ी धूप है ज़रा ठहरने तो दो,
शक है, मैं ज़रा-ज़रा गल रहा हूँ |
तूफान तो आने ही थे, है खबर,
आज मैं जो फिर से सम्हल रहा हूँ |
मुझे रोकने की गुस्ताखी न करना,
मैं आजकल जोर से जल रहा हूँ |
कोई छीन ले तो चैन देना न उसको,
चैन खो कर मैं धीरे धीरे ढल रहा हूँ |
ऐ खुदा, मैं क्यूँ तेरी राह पे भी,
शैतानों सा ही मचल रहा हूँ|
मुझे दोस्तों का साथ गवारा नहीं,
मैं अकेला ही जी आजकल रहा हूँ |
'अतुल'
nice
अतुल जी आप आये बहार आयी
अब स्वास्थ कैसा है आपका
आप तो हमें भूल ही गए