एक सवाल और उनके मुट्ठीभर जवाब
इस शहर के शोर में, ज़िन्दगी के हर मोड़ में,
भूल से या शायद याद से भूल जाते हैं,
एक सवाल और उनके मुट्ठीभर जवाब.
किसी खुदगर्जी से या किसी गर्म सियासत से,
पूंछते किसी ठंडी अंगीठी या सुलगती बगावत से,
एक सवाल और उनके मुट्ठीभर जवाब.
हिंदुस्तान-पाकिस्तान और सरहद की जंग में,
महल आलीशान में या गलियाँ गन्दी तंग में,
एक सवाल और उनके मुट्ठीभर जवाब.
जानते हैं एहसास से पर खोजते हैं किताब में,
गज़लकार के मुशायरे में, छलकी शराब में,
एक सवाल और उनके मुट्ठीभर जवाब.
एक सवाल - मैं कौन हूँ?
और इसके मुट्ठीभर गलत जवाब.
- ' अतुल '
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